डायबिटीज़ की समस्या के लिए अब नहीं खानी पड़ेंगी जीवन भर अँग्रेजी दवाईया।

Diabetes की बीमारी से हमेशा के लिये छुटकारा पाने का सबसे पहला प्रकार्तिक उपचार।

जी हा अपने बिल्कुल सही सुना शुगर की समस्या से हमेशा हमेशा के लिये छुटकारा पाने के लिए अब नहीं खानी पड़ेंगी जीवन भर अँग्रेजी दवाईया।
दोस्तो आज हमारा यह ब्लॉग लिखना का सिर्फ एक ही मकसद है के हम भी इस नेक कार्य मे अपना योगदान दे कर अपने भारत देश को डायबिटीज़ मुक्त देश बना सके।
इस रिपोर्ट के जरिये आज हम आपको रुबुरु करवाएंगे भारत मे चल रहे मधुमेह के एक मुख्य अभियान के बारे मे।
सालो से पीड़ित मधुमेह के रोग से कोई कैसे एक छोटी सी जड़ीबूटी से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पा सकता है? यह कैसे संभव है? क्या सच मे अफ्रीका के जंगलो मे एक ऐसी जड़ी बूटी की खोज हुयी है, जो की डायबिटीज़ के पेशंट को पूरी तरह से स्वस्थ कर सकती है?
रिपोर्ट के अनुसार इस जड़ीबूटी का असर इतना प्रभावशाली है के जिन लोगो ने इसका सेवन किया है उनके उनुसर उनकी सालो की शुगर की समस्या मात्र एक साल मे हमेशा के लिये खतम हो गयी और उन्हे अँग्रेजी दवाइयो और इंसुलिन के इंजेकशनो से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा मिल गया।
आये जाने कुछ ऐसे ही लोगो का अनुभव जिनका मानना है के हर्बलमधुनाशनी ने उन्हे डायबिटीज़ मुक्त एक नया जीवन प्रदान किया है।

पिछले कुछ महीनो से इस आश्चर्यजनक जड़ीबूटी हर्बलमधुनाशनी से हमारे पाठक बहुत ही उत्तेजित हो रहे है जो की बड़े ही आसान तरीके से मधुमेह के रोगियो का शुगर का लेवेल बिल्कुल नॉर्मल कर रही हैI इस असरदार जड़ीबूटी का असर क्यी जानेमाने दवाई निर्माता कंपनियो पर पड़ा है, जो की जनता की आँखों में धुल झोंक रहे थे।
आज डायबिटीज़ यानि शुगर की समस्या लगातार हमारे देश मे बढ़ती ही जा रही है और इस बात से बिल्कुल भी इन्कार नहीं किया जा सकता के Medical Science के पास इसका कोई भी कारगर ईलाज नहीं है।
आज Diabetes जैसी भयानक बीमारी के नाम पर पेशंट को जीवन भर खिलायी जा रही है केमिकल युक्त अँग्रेजी दवाईया ओर जब इससे भी कम ना बने तो पेशंट को गुजरना पड़ता है एक दर्दनाक स्थिति से जिसमे उसको लेने पड़ते है रोजाना इंसुलिन के इंजेकशन।

आज हमारे देश को कैपिटल ऑफ Diabetes भी कहा जा रहा है। इसका मुख्य कारण है हमारी जीवनशेली और हमारा खानपान।

 

आज शुगर के रोगियो को बस एक ही सलाह बस एक ही Advice दी जाती है के जीवन भर अँग्रेजी दवाईया खाओ।
लेकिन इस छोटी सी जड़ी बूटी ने शुगर के रोगियो को काफी राहत दी है। यह बड़ी आश्चर्य की बात है के शुगर के रोगी इसके सेवन से बिल्कुल ठीक हो रहे है।
कुछ दिन पहले हमे एक ऐसी खबर के बारे में पता चला जिसे सुन कर हम भी हैरान रह गये। हमे पता चला के कुछ लोग इस बात का दावा कर रहे थे के उन्होने एक ओषधिये गुण वाले पेड़ की लकड़ी को पानी में बीघो कर उस पानी का लगातार सेवन किया और उन्हे मात्र 1 साल मे ही Diabetes जैसी खतरनाक बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा मिल गया। इस खबर के मिलते ही सबसे पहले हमने इस आयुर्वेदिक जड़ीबूटी को लोगो तक पहुंचाने वाली कंपनी से बात करने का फैसला किया।
कंपनी से बात करने पर हमे पता चला के इस जड़ीबूटी के पेड़ केवल अफ्रीका मे ही पाये जाते है और वोह भी बहुत ज्यादा मात्रा मे नहीं होते इसी कारण कंपनी ने इसका प्रचार इतना अधिक नहीं किया क्युकि कंपनी के पास सीमित स्टॉक ही होता है।

इस जड़ीबूटी मे ऐसा कोन कोन से खास रसायन है जिसके सेवन से शुगर के पेशंट का शुगर लेवेल बिल्कुल नॉर्मल हो जाता है?

कंपनी के मुताबिक इस जड़ीबूटी मे कुदरती तोर से ऐसे रसायन पाये गए है जो मधुमेह के रोगी के पैंक्रियास नामक अंग को दुबारा से स्वस्थ करता है। इस जड़ीबूटी को जैसे ही हम रात भर पानी डाल कर छोड़ देते है इसका सत पानी मे घुल जाता है और उस पानी का दिन मे दो बार सेवन करने से हमारे शरीर मे pancreas नामक अंग धीरे धीरे स्वस्थ होने लगता है और उचित मात्रा मे दुबारा से इंसुलिन बनाने लगता है। जिससे मधुमेह के रोगी का शुगर लेवेल बिलकुल नॉर्मल हो जाता है।
आज के समय मे ऐसे कई प्रॉडक्ट मार्केट मे बिकते है जो लोगो को बेवकूफ बनाते है। और बहुत सी कंपनीया अपने प्रॉडक्ट को लेकर बड़े बड़े दावे करती है और यह दावे जनता की उम्मीद पर खरे नहीं उतरते।
यकीन मानिये कंपनी से बात करने के बाद भी, हम भी अभी तक इस बात पर पूरी तरह से यकीन नहीं कर पा रहे थे, के सच मे कोई ऐसे पेड़ की खोज हुयी है के जिसकी लकड़ी का केवल पानी पीने से ही मधुमेह का रोगी बिलकुल रोगमुक्त हो सकता है और शुगर जैसी खतरनाक बीमारी से हमेशा हमेशा के लिये छुटकारा पा सकता है।
इसलिए अपने यकीन को ओर पक्का करने के लिये हमने उन लोगो से मिलने का फैसला किया जो लोग इस जड़ीबूटी का इस्तेमाल कर रहे थे और रोजाना हमे ईमेल भेज रहे थे के हम इस सच्चाई को जनता तक पहुंचाये।
खोज को आगे बड़ाते हुवे हमारी रिसर्च टीम देश के अलग अलग शहरों मे उन लोगो से मिलने पहुंची जो लोग इस बात का दावा कर रहे थे के हर्बलमधुनाशनी जड़ीबूटी का इस्तेमाल करके उन्हे डायबिटीज़ जैसी खतरनाक बीमारी से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा मिल गया। और यकीन मानिये हमारी टीम को उस समय बहुत ही आश्चर्ये हुवा जब उन्हे पता चला के बहुत से बॉलीवुड स्टार भी अपनी डायबिटीज़ की समस्या के लिए इसी हर्बलमधुनाशनी प्रॉडक्ट का इस्तेमाल कर रहे है।

 

फिल्म अभिनेता सुदेश बेरी जी का कहना है के उनके भी क्यी सारे रिश्तेदारों को हर्बलमधुनाशनी का लाभ हुवा है।

इतने सारे लोगो से मिलने के बाद जिनहोने इस हर्बल मधुनाशनी नामक जड़ीबूटी का सेवन किया है और हर्बल मधुनाशनी के सेवन से वोह पूरी तरह से डायबिटीज़ मुक्त हो गए हमे पूरी तरह से यकीन हो गया के यह जड़ीबूटी सच मे शुगर के रोगी के लिए किसी संजीविनी बूटी से कम नहीं।

दोस्तो लोगो के अनुभवो को जानने के बाद अब हमारी इस बात की झिज्ञासा और बढ़ गयी के आखिर इस जड़ीबूटी को खोजने वाला वोह नेक इंसान कोन है जिसने अफ्रीका के जंगलो मे इसकी खोज की है। क्यी दिनो की छानबीन के बाद हमे पता चला के केरला के छोटे से हरिपद नामक गाँव मे जनम लेने वाले डॉ दत्ता ने इस हर्बलमधुनाशनी नामक जड़ीबूटी की खोज की है। दोस्तो इससे पहले के हम आपको डॉ दत्ता के बारे मे जानकारी दे यहा हम आपको बताना चाहेंगे के डॉ.दत्ता की इस आश्चर्यजनक खोज के बाद क्यी बड़ी बड़ी दवा निर्माण कंपनियां इस कार्य मे पूरी तरह से जुटी हुयी है के किसी भी तरह से इस जड़ीबूटी को हमेशा हमेशा के लिये हमारे देश मे प्रतिबंधित कर दिया जाए क्यूकि इस जड़ीबूटी की वजह से बहुत सारी दवा निर्माण कंपनियां को करोड़ो रुपये का नुकसान होने की आशंका है।
दोस्तो इससे पहले कि बड़ी बड़ी दवाई निर्माण कंपनियां इस हर्बलमधुनाशनी नामक जड़ीबूटी को हमारे देश मे प्रतिबंध करवा दे उससे पहले ही आप इसका फायदा उठा ले और इस हर्बलमधुनाशनी नामक जड़ीबूटी को मँगवा कर और इसका इस्तेमाल करके आप भी शुगर जैसी खतरनाक बीमारी से हमेशा हमेशा के लिये छुटकारा पा ले।

डॉ दत्ता से उनकी खोज के बारे जानकारी लेने आयी एक विदेशी महिला पत्रकार।

दोस्तो डॉ. दत्ता का जनम केरला में हरिपद नामक गाँव में हुवा था। बचपन से उनका सपना था के वोह अपने देश के लिए कुछ कर सके उनके पिता जी स्कूल मे टीचर की नौकरी करते थे। 32 वर्ष की आयु में डॉ. दत्ता के पिता जी को मधुमेह की समस्या हो गयी, ओर मधुमेह की समस्या की वजह से मात्र 42 साल की उम्र मे ही उनके पिता जी का देहांत हो गया।
डॉ. दत्ता अपने पिता जी के बहुत ही करीब थे। पिता जी का देहांत होने के बाद डॉ. दत्ता के जीवन का एक ही लक्ष्य था के जिस मधुमेह की बीमारी की वजह से उनहोने अपने पिता जी को खोया है उस बीमारी की वजह से कोई भी इंसान अपने परिवार के किसी भी सदसय को ना खोये, बस इसी लक्ष्य ने उनके जीवन मे एक ऐसी क्रांति ला दी के वोह दिन रात बस इसी खोज मे लग गये के कैसे मधुमेह के पेशंट को उसकी बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा दिलाया जाये।
कुछ सालो की खोज के बाद डॉ दत्ता को एक बात तो समझ मे आ गयी के अल्लोपथी मे इस बीमारी का कोई भी कारगर इलाज नहीं है।
इस लिये डॉ दत्ता ने आयुर्वेद मे गहरी क्षोद शुरू कर दी।
क्यी सालो की रिसर्च के बाद भी जब डॉ दत्ता को सफलता नहीं मिली तो डॉ दत्ता का जीवन निराशा मे डूबने लगा।
लेकिन उन्होने हिम्मत नहीं छोड़ी और वोह डट्टे रहे।
एक दिन अपनी रिसर्च के दोहरान ही डॉ दत्ता की मुलाक़ात एक अफ्रीकन Abioye नामक युवक से हुयी। Abioye ने डॉ दत्ता को बताया के वोह भी मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी को जड़ से खतम करने का कोई उपचार ढूंढ रहा है और वोह भी पिछले 8 सालो से लगातार इसी बीमारी पर रिसर्च कर रहा है।
उसने डॉ दत्ता को बताया की पिछले साल उसे एक ऐसी आदिवासी प्रजाति के बारे मे पता लगा था जो की अफ्रीका के गहरे जंगलो मे रहते है ओर उन आदिवासी प्रजाति वालो को उनके पुरवजओ ने एक ऐसे पेड़ के बारे मे जानकारी दी थी जिसकी छाल मे ऐसे ओषधिये गुण पाये जाते है जो की Diabetes जैसी खतरनाक बीमारी को जड़ से खतम कर सकते है।

Abioye की इस बात को सुनते ही डॉ दत्ता के मन मे उम्मीद की एक नयी किरण उठी।
डॉ दत्ता ने Abioye से प्रशन किया के वोह अभी तक उस प्रजाति से क्यू नहीं मिला। Abioye ने जवाब दिया उससे लगा वोह भी एक कहानी ही होगी इसलिए उसने इस बात पर ज्यादा गोर नहीं किया।
लेकिन डॉ दत्ता एक छोटी सी उम्मीद को भी छोड़ना नहीं चाहते थे। येही उम्मीद की किरण डॉ दत्ता को अफ्रीका ले गयी और 2 साल की दिन रात की मेहनत के बाद डॉ दत्ता को आखिरकार सफलता हासिल हुयी।

उन्होने उस पेड़ को खोज ही लिया जिसके बारे मे Abioye ने डॉ दत्ता को जानकारी दी थी। पेड़ की खोज होते ही डॉ दत्ता ने उस पर रिसर्च शुरू कर दी।

 

डॉक्टर दत्ता द्वारा खोजा गया अफ्रीका के जंगल मे हर्बलमधुनाशनी का पेड़ एवं अन्य दुर्लभ जड़ीबूटिया।

एक साल की रिसर्च के बाद डॉ दत्ता के सामने जो नतीजे आए उन्हे देख कर डॉ दत्ता खुशी से छूम उठे। क्यी सालो की डॉ दत्ता की मेहनत सच मे रंग लायी। डॉ दत्ता को सच मे एक ऐसे पेड़ के बारे मे पता चल चुका था जिसकी लकड़ी मे ऐसे ओषधिये गुण थे जो के शुगर के पेशंट को पूरी तरह से स्वस्थ कर सकती है।

रिसर्च की Positive नतीजो के तुरंत बाद ही डॉ दत्ता ने इस जड़ीबूटी को लोगो तक पहुंचाने के लिए एक सही कंपनी का चुनाव किया जो की डॉ दत्ता के इस नेक कार्य उनका साथ देना चाहती थी। कंपनी और डॉ दत्ता ने इस जड़ीबूटी को नाम दिया हर्बलमधुनाशनी यानि के मधुमेह का नाश करने वाली।

डॉक्टर दत्ता द्वारा बताया गये हर्बल मधुनाशनी के फायदे जो के शुगर के मरीज के लिये किसी वरदान से कम है

डॉक्टर दत्ता से बातचीत के दोहरान उन्होने हमे बताया के उन्होने इस अफ्रीकन जड़ीबूटी के क्यी टेस्ट किये है और उनके उनुसर यह हर्बल मधुनाशनी नामक यह अफ्रीकन जड़ीबूटी पूरी तरह से ओषधियों गुण से युक्त है। और इसके सेवन करने से क्यी फायदे शुगर के मरीज को मिलते है जैसे के:- 

डायबिटीज के अधिकतर मरीज़ों में ताकत नहीं होती है। हर्बल मधुनाशनी का एक अचंभित करने वाला काम है टेस्टोस्टेरोन के स्तर में सुधार, और मर्दाना ताकत मे जबर्दस्त बढ़ोतरी। डॉक्टर दत्ता  ने बताया के शुगर की बीमारी से अपनी ताकत खो चुके पुरुष चाहे उनकी उम्र 50 से 60 साल की ही क्यू न हो। हर्बल मधुनाशनी के सेवन से पुरुषो मे ताकत के बढ़ोतरी होती है ओर इससे वोह अपने पार्टनर को अधिक खुश रख पाते है।

सुबह उठने में हल्कापन

डॉक्टर दत्ता  ने बताया के आप सुबह उठते हैं और आसानी से बिस्तर में से निकल पाते हैं। आपको ज़बर्दस्ती खुद को उठाने, हाथ-पैरों को सीधा करने और सुन्न हो गए पैरों को रगड़ने और पीठ और गर्दन को सहलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। सुबह आपका शरीर ऊर्जा और ताकत से भरपूर होता है।

शानदार सेहत और मनोदशा


सुबह और पूरे दिन भी। शांति से और पर्याप्त नींद सो पाते हैं। आप खुद को युवा महसूस करने लगते हैं। रात को बार-बार टॉयलेट में नहीं भागना पड़ता। कहीं दर्द नहीं रहता, और कहीं खुजली नहीं होती।

स्वादिष्ट भोजन के वयंजनों से अब आप दूर नहीं

आप भोजन की सूचि में विभिन्न तरह के भोजन शामिल करने लगते हैं, आपको कड़े परहेज़ की ज़रूरत नहीं रह जाती। आपको उन व्यंजनों का स्वाद आने लगता है जो अब आपको याद हैं। अब कम कार्बोहाइड्रेट वाले आहार की ज़रूरत नहीं। मनपसंद खानों के स्वाद का आनंद लीजिए!

ज़बर्दस्त ताकत

घर से निकलने पर आपको अपने पैरों के बारे में परेशान होने की ज़रूरत नहीं होगी – अब आपको कम चलने की जरूरत नहीं, बल्कि आप पूरे दिन घूम सकते हैं, और पैर थकेंगे नहीं और ना ही सूजेंगे। सूजे हुए पैंरों पर सैंडलों, जूतों, मोज़ों आदि के निशान नहीं पड़ेंगे।

शांत मन

आप बहुत शांत और तनावमुक्त हो जाते हैं। अब लगातार बने रहने वाला दर्द नहीं होता, जो मन को कुरेदता रहता था और आप किसी भी और चीज़ पर अपना ध्यान नहीं जमा पाते थे। जब कहीं दर्द नहीं होता है तो सभी तरह की चीज़ें, आवाज़ें, खुशबुएँ बहुत स्पष्ट हो जाती हैं जिनके बारे में आप काफी समय से भूल चुके थे।

आँखों की रोशनी मे बढ़ोतरी

बहुत खराब हो चुकी नज़र भी धीरे-धीरे ठीक होने लगती है। जो आपको पहले ठीक से नहीं दिखाई देता था, अब साफ दिखने लगता है। आपको बस का नंबर दूर से ही फिर दिखने लगेगा। आप प्रकृति की खूबसूरती का आनंद फिर उठा पाएँगे।

और सबसे खास बात आपका जीवन बढ़ जाएगा! और बुढ़ापे में भी आप सेहतमंद और ऊर्जावान महसूस करेंगे। आपके प्रियजनों को आपका ख़याल नहीं रखना पड़ेगा, आप खुद अपनी देखभाल कर पाएँगे।

भारतीय दवाई की दुकानों में हर्बल मधुनाशनी का अभाव!

आज बहुत सारी बड़ी दवाई निर्माता कंपनिया इस हर्बलमधुनाशनी को पूरी तरह से खरीद कर मधुमेह के रोगियो को उचे स्तर की कीमतों मे बेचना चाहती है येही एकमात्र कारण है के डॉ दत्ता ने इसकी सप्लाई एक भरसेमंद कंपनी के हवाले की है। इसकी कीमत भी सिर्फ 2499/- रुपये रखी गयी है 2499 में पूरे एक साल की दवा जी आपने बिल्कुल सही सुना पूरे एक साल की दवा मधुमेह के पेशंट को 2499 रुपये मे दी जा रही है। 

पूरे साल मे केवल कुछ लोग ही हर्बलमधुनाशनी का लाभ उठा पाते है।

हाँ, यह सच है! हर्बलमधुनाशनी का उत्पादन कम और सीमित मात्रा में हो पाता है, इसलिए एकमात्र कारण यही है के इसको दवाईयो की दुकानों तक सप्लाइ करना संभव नहीं है। क्यूकी सप्लाइ के लिये बड़ी मात्र मे उत्पादन भी होना चाहिए लेकिन हर्बल मधुनाशनी एक ओषधियुक्त गुणो से भरपूर पेड़ की लकड़ी है इसे पाने के लिये हमे पूरी तरह से प्रकर्ति पर निर्भर रहना पड़ता हे। येही एक मात्र कारण है के कंपनी इसे भरपूर मात्रा मे सप्लाई नहीं कर सकती। पूरे साल मे केवल 20 से 25 हज़ार लोग ही इस दवा के लाभ उठा पाते है। 

डॉ दत्ता से पूछे गए कुछ सवाल जवाब

प्रशन:- डॉ दत्ता बहुत सारे लोगो का मानना है के यह लकड़ी विजयसार नाम एक पेड़ की लकड़ी की तरह है?

उतर:- देखिये विजयसार की लकड़ी का रंग लाल होता है ओर उसको पानी मे बिघोने से पानी का रंग भी लाल हो जाता है और उसके पेड़ तो हमारे भारत मे भी पाये जाते है। लेकिन हर्बलमधुनाशनी की लकड़ी का रंग हल्का पीला है ओर इसको पानी में पूरी रात भिघोने के बाद भी पानी का रंग बिल्कुल भी नहीं बदलता। ओर हर्बलमधुनाशनी के पेड़ 100 प्रतिशत केवल अफ्रीका मे ही पाये जाते है और यह विजयसार की लकड़ी से 90 प्रतिशत अधिक गुणकारी है। 

प्रशन:- हर्बलमधुनाशनी के सेवन शुरू करने के बाद कितने दिनो मे शुगर के पेशंट का शुगर का लेवल कंट्रोल मे आने लगता है? 

उतर:- हर्बलमधुनाशनी का सेवन आपको पूरे एक साल तक करना है। यह पूरी तरह से प्रकीर्तिक है इसी कारण इसका असर भी धीरे धीरे होता है। पहले 3 महीनो मे आपको 30 प्रतिशत का अंतर महसूस होगा फिर धीरे धीरे यह आपके शरीर मे रच जायेगी ओर आपके शुगर के लेवेल को पूरी तरह से कंट्रोल मे कर देगी। लेकिन आपको एक बात का ख़ास ध्यान रखना है के अगर आप पहले से कोई अँग्रेजी दवा का सेवन कर रहे है तो पहले 3 महीनो तक आपको हर्बलमधुनाशनी के साथ अपनी उस दवा को भी लेते रहना है। 

प्रशन:- क्या हर्बलमधुनाशनी का किसी प्रकार का कोई साइड इफैक्ट तो नहीं?

उतर:- हर्बल मधुनाशनी पूरी तरह से प्रकारतीक है और इसका किसी भी तरह का कोई भी दुष्टप्रभाव नहीं है। इसके बस फायदे ही फायदे है। शुगर को कंट्रोल करने के साथ साथ इसके निरंतर सेवन से उन पुरुषों को भी बेहद लाभ मिलता है जिनका टेस्टोस्टेरोन के स्तर मधुमेह के कारण काफी कम हो जाता है। हर्बल मधुनाशनी का एक अचंभित करने वाला काम है टेस्टोस्टेरोन के स्तर में सुधार, और मर्दाना ताकत मे जबर्दस्त बढ़ोतरी। शुगर की बीमारी से अपनी ताकत खो चुके पुरुष चाहे उनकी उम्र 50 से 60 साल की ही क्यू न हो। हर्बल मधुनाशनी के सेवन से पुरुषो मे ताकत की बढ़ोतरी होती है ओर इससे वोह अपने पार्टनर के साथ पहले से अधिक सुखी वेवाहिक जीवन व्यतित कर पाते है।

प्रशन:- हर्बलमधुनाशनी का इस्तेमाल कितने साल की उम्र तक का व्यक्ति कर सकता है?

उतर:- हर्बलमधुनाशनी का इस्तेमात 14 वर्ष से अधिक उम्र वाला कोई भी व्यक्ति चाहे वोह  पुरुष हो या महिला कोई भी इसका सेवन कर सकता है।

प्रशन:- हर्बलमधुनाशनी की सेवन विधि किस प्रकार है?

उतर:- हर्बल मधुनाशनी का इस्तेमाल बेहद ही आसान है। 1 लीटर पीने का पानी प्लास्टिक या फिर काँच की बोतल मे ले और उसमे 2 ग्राम हर्बल मधुनाशनी लकड़ी के टुकड़े डाल कर उसे 12 घंटे तक भिगो कर रख दे। 12 घंटे बाद हर्बल मधुनाशनी के ओषधिये गुण उस जल मे आ जाएंगे। अब इस 1लीटर पानी की बोतल मे से 60मि.लि. पानी (तकरीबन आधा गिलास) सुबह नाशते से 30मिनट पहले खाली पेट सेवन करे और 60मि.लि. पानी (तकरीबन आधा गिलास) रात के भोजन से कम से कम 30मिनट पहले खाली पेट सेवन करे। अगले 7 दिन तक बोतल मे से जल का सेवन इसी प्रकार से करना है और 7 दिन के बाद जब बोतल मे जल खतम हो जाये तो बोतल मे से पुराने लकड़ी के टुकड़े निकाल कर फेंक दे और पानी की बोतल को अच्छे से साफ कर ले और बोतल मे 1 लीटर पीने का पानी दुबारा से ले और उसमे 2 ग्राम हर्बल मधुनाशनी लकड़ी के टुकड़े डाल कर उसे 12 घंटे तक भिगो कर सेवन की विधि को दोबारा से दोहराये।

दोस्तो हम उम्मीद करते है के हमारे इस ब्लॉग को पढ़ने से बहुत सारे लोग जो की शुगर जैसी खतरनाक बीमारी से क्यी सालो जूझ रहे है उनको एक नयी उम्मीद मिलेगी। 

दोस्तो अगर आप भी डायबिटीज़ मुक्त जीवन जीना चाहते हो तो आप भी हर्बल मधुनाशनी को अपनाये। 

हर्बल मधुनाशनी की किसी भी प्रकार की अधिक जानकारी के लिये आप उनके कस्टमर केयर नंबर पर कॉल कर सकते है या फिर नीचे दिये गये फोरम को भी भर सकते है। फॉर्म मे आपके द्वारा भरी गयी जानकारी हम हर्बल मधुनाशनी के कस्टमर केयर सेंटर को भेज दी जायेगी।

दोस्तो हमारा आपसे अनुरोध है के हर्बलमधुनाशनी को इस्तेमाल करने के बाद नीचे दिये गये कमेंट सेक्शन मे अपना कमेंट जरूर दे ओर हमे बताये के हर्बलमधुनाशनी से किस प्रकार आपने मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी से छुटकारा पाया। धन्यवाद। 

हर्बल मधुनाशनी के पूरे एक साल कोर्स की कीमत मात्र

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